Wednesday, 14 May 2014

bank manager

मेने  जिस  से शादी की  वो  बैंक का मेनेजर था , उसको बस बैंक और पैसे के बारे हि बाते  करना अच्छा लगता है , कोई सेक्सी बात नही कोई मजा  लेने वाली बात नहीं नहीं,,,रात को बस सेक्स करते  तो भी ऐसा लगता जेसे कोइ मेहरबानी कर रहा हो ,,,मुझे  सेक्स की आग लगी हो तो कहाँ जाओ ,,,उसके माँ बाप उसी घर में रहते थे। बड़ी दुविधा  में थी की अचानक उनकी बदली किसी दूसरे शहर में हो गयी।  मेने सोचा  शायद बार ज कैर थोड़ा बहुत बदल जाये गे।  पैर ऐस नहीं  हुआ।  फिर एक दिन कहा।  आज मेरे ब्रांच के कुछ मित्र आये गे खाना  बना  लोगी।  मेने  हाँ कह दी।  क्योकि में भी कुछ नए लोगो से जान पहचान बडाना  चाहती थी , ताकि मेरी भी प्यास बुज  सके।   तीन लोग आये , मेने सब की बड़े प्यार से आवबगत  कि , कोई न कोई तो सेवा का फल देगा।
अगले ही दिन राणा साहिब का मैसेज  आया।  खाना बहुत ही अच्छा था , शुक्रिया। 

मेने उने भी  थैंक  किया और फिर आने की ऑफर दिया। वो आदमी चालु थ फोरन समज गया।  उसको एक दिन मालूम था की आज ऑफिस में काम बहुत है रात ११/१२ बज जाये गे, वो मेरे पति को मिलने के  बहाने से घर में आ गया।  मेने चाय पूछी और कहा आज वो लेट आये गे।  फिर वो इधर उधर कि बात करते हुए सीधे सेक्स की बात करने लगा।  में भी खुल कर बात कर रह थी।  वो सोफे से उठा और मेरे बाहो को पकड़ क मुझे चूमने लगा किसिंग करने लगा।  मेने ऐसे ही कह दिया कोइ आ जाए गागा,,बदनामी हो जाए गी।  वो कहने लगा चिंता मत करो तुम मुझे खुश कर दो , फिर देखो तुम्हारा पति कहाँ से कहाँ पहुच जाता है. . में उसकी बातों में आ गयी।  खैर पति का तो कुछ नहीं हुआ पैर मेरी प्यास अब  थोड़ी कम हुई।  वो साल बड़ा ही चोदु था , वो किस करता तो लगता था मेरे होठ को खा जाये ग,,,,मेरी चूचिओ को ऐसे रगड़ता ,मसलता  जैसे उसके बाप का माल हो , और चूत को ऐसे चाटता था मानो कि इसके बाद कभी मिले गी नही।  और जब लंड मेरी चूत में डालता  तो और धके मार मार कर लाल कर देता था।   बड़ा मजा आ रहा था।  यह सिलसिला कै महीने चला।  फिर एक दिन पता चला मेरे भोंदूराम (पति) की ट्रांसफर फ़िर वापिस अपने शहर में हो गयी।    फिर वही सूनी सूनी राते ,,,काश कोई रास्ता मिल जाए। ।कोइ नया यार जिसके पास जगह भी हो इस उम्मीद पर। ………………। 

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